हुस्न के बाजार पर भयंकर मंदी की मार
एम.आई.आलम
महानगर मुम्बई के लगभग हर क्षेत्र में ऑर्केस्ट्रा(डांस) बार हैं। जिनकी पहचान केवल मुम्बई महानगर में ही नही बल्कि इन बारों के जलवों की गूंज पूरी दुनियां में सुनाई पड़ती हैं। मुम्बई की रंगीनियां देखने आने के शौकीनों के बीच ऑर्केस्ट्रा बारों का अलग ही क्रेज़ देखने को मिलता है। इसी लिए मुम्बई के आर्केस्ट्रा बारों को हुस्न का बाजार कहने में कोई बुराई नही है। पर आर्थिक सुस्ती के इस माहौल में मुम्बई के इस ” हुस्न के बाजार पर भी भयंकर मंदी की मार” है।
हालत यह है कि कल तक बार मे डांस कर शान-शौकत से ज़िंदगी जीने वाली बार बालाएं मुश्किल दौर से गुज़र रही हैं। एक समय था जब इन बार बालाओं के नखरे उठाने के लिए ग्राहकों की पूरी फौज लगी होती थी। हज़ार दो हज़ार देने वाले ग्राहकों की गिनती लुक्खों में होती थी। भले ही बार मे डांस पर प्रतिबंध हो पर बार बालाएं अच्छे खासे पैसे उड़ाने वाले ग्राहकों के सामने डांस करने से हिचकिचाती नही थी। अच्छे खासे पैसे उड़ाने का अर्थ होता था 50 हज़ार या लाख रुपये। इतना पैसा सामने आने के बाद ही बार बालाएं डांस को तैयार होती थी। पर अब ऐसा नही है। आज बार की हालत ऐसी हैं कि कल तक 50 हज़ार लाख रुपये देख डांस करने को तैयार न होने वाली बार बालाएं 1000 2000 रुपये के लिये भी डांस करने को तैयार हैं।
ऐसा क्यों हुआ यह समझना इतना मुश्किल नही है। पहली बात तो इस समय लगभग पूरे देश मे आर्थिक सुस्ती का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ पिछले कुछ महीनों में मुम्बई पुलिस की बार मे चल रही अनैतिक गतिविधियों पर निगाहें टेढ़ी हैं। पिछले लगभग 6 महीनों से मुम्बई पुलिस ने महानगर के विभिन्न बारों में छापेमार कारवाई कर वहां पर व्याप्त अनियमितताओं का भंडाफोड़ किया है। बार मालिकों से सांठगांठ कर अपने क्षेत्र के बार मालिकों को मनमानी करने की छूट देने वाले कई वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों पर निलम्बन की कारवाई भी इस बीच हुई। इन निलम्बन की कारवाई से पूरे महानगर के पुलिस विभाग में खलबली मच गई। अपने क्षेत्र में चलने वाले बारों पर वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक का हथौड़ा चलने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि आर्केस्ट्रा बारों की अनैतिक और अश्लील गतिविधियों पर लगाम लगने के कारण बारों में आने वाले ग्राहक कम हो गए । परिणाम स्वरूप बार बालाओं के साथ साथ बार मालिकों, स्टीवर्ड, वेटरों व बार धंधे से जुड़े अन्य अनेक लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार महानगर मुम्बई में कुल लगभग 650 से 700 ऑर्केस्ट्रा बार होंगे। इनमें से 200 से 250 बारों में धमाल का धंधा चलता था। इन ऑर्केस्ट्रा बारों में लगभग 10000 के आसपास तो बार बालाएं काम करती होंगी। बार बालाओं के अलावा अन्य कर्मचारियों के रूप में हज़ारों लोग कम करते हैं। बारों में चल रही मंदी से यह सब प्रभावित हो रहे हैं।
भले ही पूरे देश मे छाई आर्थिक सुस्ती को आर्थिक मंदी मानने वाले तैयार न हो पर मुम्बई की रंगीनियों की पहचान ऑर्केस्ट्रा बारों के बारे में यह तो कहा ही जा सकता है कि महानगर के “हुस्न के बाजार पर है भयंकर मंदी की मार।।
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