
महाराष्ट्र में बकरों का निर्यात हुआ ठप… आधी हो गई कीमत…
Rokthok Lekhani
महाराष्ट्र : देश में 10 जुलाई को बकरा ईद का पर्व मनाया जाएगा। इस साल पाबंदी नहीं होने से सभी त्यौहार धूमधाम से मनाए जा रहे हैं। बकरा ईद को लेकर दो महीने पहले से तैयारियां की जा रही थी। महाराष्ट्र में तेज बारिश और राजनीतिक उथल पुथल की वजह से पशुओं की खरीदी नहीं हो रही है। जिले से महाराष्ट्र बिकने जाने वाले बकरों की बिक्री स्थानीय स्तर पर हो रही है। ऐसे में बकरों की कीमत में 10 से 15 हजार रुपए की गिरावट आई है। इससे स्थानीय स्तर पर पशु पालकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
जिले में पशुओं की खरीदी बिक्री करने वाले व्यापारी सादिक कुरैशी और एकबाल कुरैशी ने बताया बकरा ईद पर्व के 5 से 7 दिन पहले रोजाना 10 वाहनों से 500 से ज्यादा बकरा-बकरी की बिक्री के लिए व्यापारी उन्हें महाराष्ट्र के कल्याण जिले में ले जाते थे। वहां पर भाव अच्छे मिलने से स्थानीय व्यापारियों को फायदा होता था। इस साल बकरा ईद के पहले तेज बारिश होने और राजनीतिक उथल पुथल की वजह से वहां के पशु बाजार में बड़े व्यापारी खरीदी करने के लिए नहीं आ रहे हैं।
इसके चलते जिले के बकरा-बकरी का निर्यात रूक गया है। वहीं जिले के स्थानीय पशु बाजार में बकरों की बंपर आवक होने से खरीदार कम ही बोली लगा रहे हैं। हर साल 25 हजार से 30 हजार रुपए में बिकने वाला बकरे की कीमत 15 से 16 हजार रुपए ही मिल रही हैं। इसके चलते पशु पालकों को नुकसान हो रहा है। मंगलवार को निवाली के पलसूद रोड पर पशु पालक व्यापारियों को पशु बेचने आए थे। लेकिन आवक ज्यादा होने से उन्हें सही भाव नहीं मिले। इससे आदिवासी अंचल में बकरी पालन करने वाले ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ रहा हैं।
कोराना महामारी के बाद अब त्योहार मनाने पर लगाई गई रोक हटने के बाद अब धूमधाम से त्यौहार मनाए जा रहे हैं। जिले के कई व्यापारियों ने बकरा ईद पर महाराष्ट्र में बकरे की बिक्री करने के लिए पशुओं की खरीदी करके रखी थी। महाराष्ट्र में बकरा ईद पर अच्छे भाव मिलने व अच्छा धंधा होने की आस में व्यापारियों के बकरों का स्टाक करके रखा था लेकिन महाराष्ट्र में इस बार खरीदी नहीं होने से व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा हैं।
जिले में पशु बाजार में सबसे ज्यादा पशुओं की खरीदी बिक्री सेंधवा, राजपुर, पलसूद व खेतिया में होती है। यहां पर बड़ी संख्या में पशुओं की नीलामी होकर बिक्री की जाती है। निवाली क्षेत्र के किसान आत्मनिर्भर बनने के लिए खेती के साथ पशु पालन करने लगे है। ऐसे में निवाली में भी अस्थाई रूप से पलसूद रोड पर हर मंगलवार को पशु बाजार लगता है लेकिन इसके ठेके की नीलामी नहीं हुई है। यहां पर पशु मालिक व व्यापारियों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां पर बाजार बैठक का स्थान तय कर इसकी नीलामी कर दी जाए तो नगर परिषद की आय में वृद्धि होगी।
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