
बच्चों की कॉपी-किताबों और शिक्षा पर भी पड़ने लगी महंगाई की मार…
Rokthok Lekhani
पालघर : देशभर में चौतरफा बढ़ रही महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है। इसका असर अब बच्चों की कॉपी-किताबों और शिक्षा पर भी पड़ने लगा है। महंगाई की मार से शिक्षा विभाग भी अछूता नहीं रहा है। पिछले साल की तुलना में इस बार कॉपी-किताबें जहां ४० फीसदी तक महंगी हुई हैं, तो वहीं रबर, पेंसिल और शॉर्पनर के दामों में भी १० से २० फीसदी का इजाफा देखने को मिल रहा है। स्टेशनरी व्यवसाय से जुड़े सतीश का कहना है कि रद्दी के दामों में बढ़ोतरी के चलते शिक्षा की हर चीज के भाव आसमान छूने लगे हैं। इसका सीधा असर इस बार अभिभावकों पर पड़ रहा है।
दो साल से स्कूली फीस की मार झेल रहे माता-पिता को इस साल कॉपी-किताबों की बढ़ी हुई कीमतों ने अभी से परेशान कर दिया है। दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते बच्चों की ऑनलाइन क्लास में अभिभावकों को किताब-कॉपियों पर कम खर्च करना पड़ा था लेकिन अब सब शुरू होने के बाद से स्कूलों में बच्चों की कक्षाएं भी ऑफलाइन हो गई हैं। ऐसे में किताब-कापियों के दामों में बढ़ोतरी का असर लोगों की जेब पर दिख रहा है।
दूसरी तरफ अब किताबों और ड्रेस, जूता आदि की कीमत में ४० प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। ऐसे में अभिभावकों की दिक्कत काफी बढ़ती दिख रही हैं। इसके अलावा स्कूली बैग की कीमत में सौ से डेढ़ सौ रुपए का इजाफा हुआ है। फुटवियर पर जीएसटी दर पांच से १२ फीसदी होने के बाद स्कूल शूज की कीमतों में १५० रुपए तक का इजाफा हुआ है।
कारोबारियों के अनुसार कॉपी-किताब तैयार करने के लिए जरूरी कच्चे माल के दाम कोरोना काल में ज्यादा बढ़ गए हैं। प्लास्टिक के दाने की कीमत ८० रुपए से १६०-१७० रुपए किलो हो गई है, वहीं कागज का रेट ५० से बढ़कर ८५ रुपए प्रति किलो हो गया है। कारोबारियों के अनुसार कॉपी-किताबों का जो सेट पहले औसतन तीन हजार रुपए में आता था, वो इस बार पांच हजार रुपए में बिक रहा है।
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