शिवसेना के साथ गठबंधन स्थायी नहीं, हम हालात के चलते साथ आए- कांग्रेस
Alliance with Shiv Sena is not permanent, we came together because of circumstances: Congress
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) सरकार को गए डेढ़ महीना भी नहीं बीता है, लेकिन कांग्रेस और शिवसेना में अभी से तकरार दिखने लगी है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ उनका गठबंधन स्वाभाविक और स्थायी नहीं है। जिस समय शिवसेना से गठबंधन हुआ था, उस दौरान परिस्थितियां अलग थीं।
महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) सरकार को गए डेढ़ महीना भी नहीं बीता है, लेकिन कांग्रेस और शिवसेना में अभी से तकरार दिखने लगी है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शुक्रवार को कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ उनका गठबंधन स्वाभाविक और स्थायी नहीं है। जिस समय शिवसेना से गठबंधन हुआ था, उस दौरान परिस्थितियां अलग थीं।
पटोले ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता के तौर पर शिवसेना के अंबादास दानवे की नियुक्ति पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह पद कांग्रेस को दिया जाना चाहिए था। NCP और शिवसेना ने मिलकर दोनों पद आपस में बांट लिए हैं।
शिवसेना ने हाल ही में अपनी पार्टी के अंबादास दानवे को विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया था। पटोले ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को विश्वास में लिए बिना यह कदम उठाया गया। पटोले ने कहा- विधानसभा में NCP की ओर से विपक्ष का नेता बनाया गया, जबकि परिषद के उपाध्यक्ष का पद शिवसेना को दिया गया है।
पटोले ने कहा कि विपक्ष का नेता कांग्रेस की ओर से होना चाहिए था, लेकिन हमसे पूछे बिना फैसला लिया गया। हम इस मुद्दे को उठाएंगे। हम इस मामले पर शिवसेना से बात करने को तैयार हैं। अगर वे बात नहीं करना चाहते, तो यह उनकी चिंता है। हमने उनके साथ एक अलग स्थिति में गठबंधन किया था। यह हमारा स्वाभाविक या स्थायी गठबंधन नहीं है।
पटोले ने शिंदे और फडणवीस के नेतृत्व वाली नई सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों और पैसे का इस्तेमाल कर सरकार बनाने का आरोप लगाया। साथ ही यह भी दावा किया कि सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी।
पटोले ने कहा- सरकार बनने के 39 दिन बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। महाराष्ट्र में एक परंपरा है कि विभागों को तुरंत आवंटित किया जाता है, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं हुआ है। इससे पता चलता है कि दोनों पार्टियों के बीच बड़े मंत्रालयों को लेकर लड़ाई चल रही है।
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