कोरोना और लॉकडाउन की वजह से मुंबई लोकल बंद है, इसलिए बढ़ रही है महंगाई
Rokthok Lekhani
मुंबई : कोरोना और लॉकडाउन की वजह से मुंबई लोकल आम यात्रियों के लिए बंद है. सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कर्माचारियों को ही लोकल में चढ़ने की अनुमति है. लेकिन यह सबको पता है कि मुंबई के किसी भी इलाके में जो रोज़मर्रे के सामान और सब्जियां छोटे दुकानदार लाते थे, वे लोकल के माल डब्बों में रख कर लाते थे.
अब ऐसा नहीं हो पा रहा है. मालडब्बों में सामान लाने की अनुमति नहीं है. माल लाने का खर्च इतना बढ़ गया है कि उसका खर्चा अब छोटे दुकानदारों से उठाया नहीं जा रहा है. ऐसे में बढ़ते खर्च का बोझ वे आम जनता पर डाल रहे हैं और महंगाई बुलेट की रफ़्तार से बढ़ रही है.
कोरोना की तीसरी लहर के डर से सावधानियों के तहत मुंबई में प्रतिबंधों को कायम रखा गया है. दुकानों को सिर्फ शाम 4 बजे तक ही खुली रखने की छूट दी गई है. यानी धंधे के घंटे कम हो गए. ढुलाई का खर्च बढ़ गया. इन सबका असर यह हुआ कि आम जरूरतों के सामान आम आदमी की हैसियत से बाहर होते गए. मुंबई लोकल शुरू होने की कोई उम्मीद नहीं फिलहाल है और पेट्रोल-का भाव 100 रुपए प्रति लीटर के पार है. ऐसे में बढ़ती हुई महंगाई का पहाड़ है.
मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट, तांबा मार्केट जैसे बड़े बाजारों में उल्हासनगर और अंबरनाथ जैसे ठिकानों से सामानों की सप्लाई होती है. रेलवे के मालडब्बों से यह सप्लाई की जाती थी. लेकिन पिछले डेढ़ सालों से माल डब्बों से इन सामानों को पहुंचाया नहीं जा सका है. ऐसे में ढुलाई का खर्च बढ़ने से महंगाई का बोझ बढ़ गया है. यह महंगाई पूरी तरह से कृत्रिम है.
एक तरफ राज्य सरकार कहती है कि परिवहन और माल ढुलाई पर कोई रूकावट नहीं है, ताकि लोगों का व्यापार और रोज़गार कायम रहे. दूसरी तरफ उपनगरीय ट्रेनों के मालडब्बों में मालढुलाई पर रोक लगाई गई है. इस तरह सरकार दोहरी चाल चल रही है और जनता बढ़ती महंगाई के बोझ तले मर रही है.
छोटे व्यापारियों की मांग है कि जिस तरह से अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को लोकल में चढ़ने की छूट है, उसी तरह मालडब्बों से सामान ढुलाई करने वालों को भी अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़ा हुआ समझा जाए और मुंबई लोकल के माल डब्बों में आने-जाने की छूट दी जाए.
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