
बीजेपी में अब डैमेज कंट्रोल का दौर, फ़िलहाल आयातित नेताओं को मिल रहा था महत्व
Rokthok Lekhani
मुंबई : दो साल के राजनीतिक वनवास के बाद महाराष्ट्र बीजेपी में अब डैमेज कंट्रोल का दौर दिख रहा है। प्रदेश में बीजेपी के जनाधार वाले नेताओं को फिर से उनकी वास्तविक व उपयुक्त सम्मानित जगह मिलने लगी है। विनोद तावडे, चंद्रशेखर बावनकुले, राज के़ पुरोहित, किरीट सौमैया आदि इसके ताजा उदाहरण हैं।
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की इस ताजा कवायद से पार्टी कैडर के लोगों को उम्मीद जगी है कि इस नए दौर में जनाधारविहीन बाहरी आगंतुकों के मुकाबले अब उनको अधिक महत्व मिलेगा।
महाराष्ट्र में बीजेपी दो साल से सत्ता से बाहर है, लेकिन इन दो सालों में बीजेपी मजबूत विपक्ष की भूमिका में खुद को खड़ा ही नहीं कर पाई। बीजेपी चाहती तो, कांग्रेस और एनसीपी के जिन ज्यादातर नेताओं को वह दागदार बताती रही है, उनको निशाने पर लेकर इन दो सालों में सरकार के खिलाफ कोई बड़ा जनआंदोलन खड़ा कर सकती थी।
लेकिन कभी भी फिर से सरकार में आने की चाह में ही बीजेपी खोई रही। बीजेपी विधायकों से हुई चर्चा में यह बात भी सामने आई कि एनसीपी से बीजेपी में आए एक नेता ने पहले तो देवेंद्र फडणवीस को इस भरोसे में रखा कि चाहे कुछ भी हो जाए शरद पवार कभी भी शिवसेना का समर्थन नहीं करेंगे।
परंतु जब महा विकास आघाडी की सरकार बन गई, तब फडणवीस ने केंद्रीय नेतृत्व को इस भ्रम में उलझाए रखा कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार अल्पजीवी है और वह इसे कभी भी गिरा देंगे।
ऐसे में पार्टी में आए बाहरी नेताओं को खुलकर अपनी जगह बनाने के अवसर मिले और पार्टी कैडर निराशा के गर्त में धकेला जाता रहा। हालांकि, जब बीजेपी सत्ता में थी, तो किसी को इसकी खास परवाह नहीं दिखी, लेकिन अब नए सिरे से शुरू हुई कोशिशों से पार्टी कैडर उत्साहित दिख रहा है।
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता और दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में मंत्री विनोद तावडे, चंद्रशेखर बावनकुले, प्रकाश मेहता व मुख्य सचेतक राज के़ पुरोहित को विधानसभा का टिकट तक काटकर महत्वहीन बना दिया गया था।
जबकि ये सभी अपने अपने इलाकों के जबरदस्त जनाधार वाले नेता रहे हैं। अब तावडे को बीजेपी में राष्ट्रीय महामंत्री, बावनकुले को विधान परिषद की सीट और पुरोहित को प्रदेश में उपाध्यक्ष बनाकर सम्मान दिया गया है।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील पार्टी कैडर के जनाधारवाले नेताओं को प्राथमिक महत्व देने के पक्षधर रहे हैं। इसके विपरीत संगठन के विकास और विस्तार की कोशिशों के तहत अपने मुख्यमंत्रीकाल में फडणवीस एनसीपी, कांग्रेस, मनसे, समाजवादी पार्टी आदि से कई नेताओं को बीजेपी में लाए।
जिनमें से प्रवीण दरेकर, प्रसाद लाड़, चित्रा वाघ, राम कदम, मोहित कंबोज आदि व्यापक जनाधारविहीन नेता आज भी संगठन में महतत्वपूर्ण पदों पर बने हैं। नारायण राणे केंद्र में मंत्री, दरेकर विधान परिषद में विपक्ष के नेता, चित्रा प्रदेश उपाध्यक्ष, कदम प्रवक्ता व कंबोज मुंबई बीजेपी में उपाध्यक्ष हैं।
बीजेपी कैडर के लोग आज भी यह मानते हैं कि यह सारे नेता सिर्फ अपने प्रोटक्शन के लिए बीजेपी में आए हैं। इसके अलावा भी अन्य पार्टियों से आए कई नेता ऐसे भी हैं, जिनको बीजेपी कैडर से ज्यादा महत्व मिलता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय में महाराष्ट्र बीजेपी में अब तस्वीर बदल रही है। जो नेता बहुत ताकतवर दिखते थे, उनकी सत्ता लोलुपता जाहिर होने से बीते दो साल में प्रदेश में बीजेपी का ग्राफ गिरा है। इसी कारण बीजेपी में तावडे, बावनकुले, पुरोहित, सोमैया को महत्व मिल रहा है।
संकेत है कि आने वाले दिनों में पंकजा मुंडे को भी उनका उचित सम्मान मिलने वाला है। हो सकता है पंकजा मुंडे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। प्रकाश मेहता पर लगे आरोपों का मामला जब तक क्लियर नहीं होता तब तक वे ‘वेट एंड वॉच’ पर रहेंगे।
जानकार बताते हैं कि अमित शाह के अपने निजी सूचना तंत्र और आरएसएस का फीडबैक भी यही है कि आगामी बीएमसी और 2024 के चुनावों के मद्देनजर जनाधारवाले बीजेपी कैडर के नेताओं को फिर से ताकत दी जाए। इसी कारण संगठन को फिर से मजबूती देने की ओर बीजेपी बढ़ रही है।
बीजेपी सरकार में मंत्री रहे और आरएसएस के करीबी एक बड़े नेता का आंकलन है कि डैमेज कंट्रोल का यह दौर जारी रहेगा, और संगठन में अब प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे और आशीष शेलार की बात को अब पहले से ज्यादा महत्व मिलेगा। जबकि दूसरी पार्टी से बीजेपी में आए नेताओं को नीतिनिर्धारण में शामिल करने की बजाय उनका सिर्फ रणनीतिक इस्तेमाल होगा।
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