
एसटी कर्मचारियों में फूट, शामिल अधिकांश कर्मचारी काम पर लौटे
Rokthok Lekhani
मुंबई : महाराष्ट्र राज्य ट्रांसपोर्ट निगम (एसटी) के हड़ताल कर रहे कर्मचारियों में फूट पड़ गई है। हड़ताल में शामिल अधिकांश कर्मचारी काम पर लौट आए हैं। इस वजह से कई बसों का संचालन शुरू हो गया है। हालांकि अभी भी कई कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं।
राज्य सरकार ने हिदायत दी है कि यदि हड़ताल करने वाले कर्मचारी काम पर नहीं लौटे तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। इस बीच राज्य के कुछ स्थानों पर बसों पर पथराव की घटनाएं हुई हैं। पुलिस के कड़े बंदोबस्त के बीच बसों को रवाना किया जा रहा है।
एसटी महामंडल को राज्य सरकार में विलय करने की मांग को लेकर कर्मचारी 28 अक्टूबर से बेमियादी हड़ताल पर चले गए थे। परिवहन मंत्री और महामंडल के अध्यक्ष अनिल परब ने संबंधितों के साथ बैठक करके कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की घोषणा की है।
एक से 10 साल तक सेवा देनेवाले कर्मचारियों के मूल वेतन में पांच हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई है। अन्य श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन में भी संतोषजनक वृद्धि की गई है। इस बीच कई कर्मचारी काम पर लौट आए हैं लेकिन कुछ कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं।
शुक्रवार को अहमदनगर की ओर जा रही बस पर अज्ञात लोगों ने पथराव किया। इस घटना में चालक घायल हुआ है। इसके अलावा राज्य के कुछ अन्य स्थानों पर भी बसों पर पथराव की घटनाएं सामने आई हैं। इधर, शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में हड़ताल का नेतृत्व कर रहे नेताओं पर हमला बोला गया है।
सामना में लिखा गया है कि एसटी घाटे में है और हड़ताल के कारण ज्यादा घाटे में चला गया है। हड़ताल से 344 करोड़ रुपये की यात्री आय डूब गई है। एस.टी. की हड़ताल में राज्य और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। इसलिए अदालत को इस नुकसान की भरपाई हड़ताल का आह्वान करने वाले नेताओं से करना चाहिए।
जिन्होंने एसटी के लिए खून-पसीना बहाया है, वही घाटे में चल रही एस.टी. को खाई में धकेलें, ये उचित नहीं है। यदि हड़ताल में शामिल कामगारों की नौकरी चली गई तो क्या नेता उनके परिवारों का भरण-पोषण करेंगे?
लगता है किसी ने कामगार नेताओं को एस.टी. को हमेशा के लिए बंद करने की सुपारी दी है। सरकारी एस.टी. बंद करके यात्री परिवहन निजी लोगों के हाथ सौंपने का यह धंधा है।
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