
बॉम्बे हाईकोर्ट में समीर वानखेड़े के पिता की याचिका पर हुई सुनवाई, कहा- नवाब मलिक तो पहले से जेल में दंडित करने का कोई मतलब नहीं
मुंबई: नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े द्वारा महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई स्थगित करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की एक पीठ ने कहा कि मलिक पहले से ही सलाखों के पीछे हैं, इसलिए दंडित करने का कोई मतलब नहीं है.
अदालत में जब वानखेड़े की याचिका सुनवाई के लिए आई तो मलिक की ओर से पेश वकील फिरोज भरूचा ने याचिका को वापस रखने के लिए कहा क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय को पेश होना था और उस समय वह दूसरी अदालत में थे. इस पर न्यायमूर्ति एसजे कथावाला ने पूछा, ”लेकिन मलिक वैसे भी अब सलाखों के पीछे हैं. अगर हम उसे आज भी सजा दें तो इसका क्या मतलब होगा?’ भरूचा ने उत्तर दिया, “हां, लेकिन कृपया उससे पहले हमें सुन लें.”
मलिक को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 फरवरी को गिरफ्तार किया था. ईडी कुर्ला में जमीन के एक टुकड़े के लिए अंडरवर्ल्ड भगोड़े दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और मलिक के बीच 85 लाख रुपये के जमीन के लेन-देन की जांच कर रहा है. मलिक फिलहाल ईडी की हिरासत में हैं और कुछ दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. न्यायमूर्ति कथावाला ने पूछा कि मलिक कब तक हिरासत में है तो भरूचा ने जवाब दिया कि वह 3 मार्च तक हिरासत में हैं.
बता दें कि वानखेड़े ने बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना जारी करने की मांग की थी. पिछले साल मलिक ने माफी मांगी थी और अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था कि जब तक वानखेड़े की मानहानि याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक वह वानखेड़े के परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बताएंगे.
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