एम.आई.आलम
मुंबई : आगामी 31 अगस्त को रिटायर होने जा रहे मुम्बई पुलिस कमिश्नर श्री संजय बर्वे को राज्य सरकार ने तीन माह का सेवा विस्तार दिया है। राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा उठाये गए इस कदम के बाद अब यह चर्चा जोरों से चल रही है कि क्या आगामी विधानसभा चुनावों में मुम्बई पुलिस कमिश्नर चुनावी ज़िम्मेदारियों से मुक्त रहेंगे??
यह चर्चा ऐसे ही नही है, बल्कि इस चर्चा का मूल कारण है खुद चुनाव आयोग द्वारा पिछले माह की 11 जुलाई को दिया गया एक आदेश। इस आदेश में साफ साफ यह बात इंगित है कि “यदि कोई अधिकारी अगले 6 माह में रिटायर होने वाला है तो उसे चुनाव से सम्बंधित कोई भी ज़िम्मेदारी नही दी जाएगी। हालांकि सरकार अपने स्तर से किसी भी अधिकारी को सेवा विस्तार दे सकती है। पर चुनाव कराने का पूरा ज़िम्मा चुनाव आयोग का होता है उसमें राज्य सरकार कुछ भी नही कर सकती। राज्य सरकार चुनाव आयोग से किसी खास अधिकारी के लिए केवल अनुरोध कर सकती है। अनुरोध मानना या न मानना चुनाव आयोग के विवेक पर है। अभी तीन माह पहले हुए लोकसभा चुनावो के समय राज्य सरकार ने महानगर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती और दो एडिशनल पुलिस कमिश्नर रविन्द्र शिसवे व प्रवीण पडवल का ट्रांसफर न करने का अनुरोध किया था जिसे चुनाव आयोग ने नही माना था। तीनो ही अधिकारी तीन साल से अधिक समय से एक ही पद पर कार्यरत थे। जो चुनाव आयोग के नियमों के विपरीत था।
1 मार्च 2019 से मुम्बई पुलिस कमिश्नर के रूप में कार्यरत संजय बर्वे राज्य सरकार की गुडलिस्ट अधिकारी माने जाते है। अपने कार्यकाल के दौरान श्री बर्वे ने विभागीय भ्र्ष्टाचार के खिलाफ खड़ा रुख अख्तियार किया है। बर्वे के कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक स्तर के कई अधिकारियों पर निलम्बन की कारवाई हुई। कहा जाता है कि संजय बर्वे राज्य सरकार की गुडलिस्ट में उस समय ही शामिल हो गए थे जब पिछले साल पालघर उपचुनाव के समय गुप्तचर विभाग प्रमुख के रूप में चुनाव से पहले ही इन्होंने भाजपा प्रत्याशी की जीत की संभावना राज्य सरकार को दी थी।
राज्य सरकार ने तो श्री संजय बर्वे को सेवा विस्तार दे दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग अपने ही दिए आदेश पर क्या रुख अपनाता है। यदि संजय बर्वे को चुनाव आयोग चुनावी ज़िम्मेदारियों से अलग रखती है तो यह कोई पहली बार नही होगा कई साल पहले राज्य के डीजीपी रहे श्री एसएस बिर्क के कार्यकाल में चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी उस समय एन्टी करप्शन ब्यूरो प्रमुख एस चक्रवर्ती को दी थी। तो क्या महाराष्ट्र का इतिहास मुम्बई में भी दोहराया जाएगा??