Rokthok Lekhani
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मुंबई : 2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना ने मुंबई को गड्ढा मुक्त करने, भाजपा ने 24 घंटे पानी देने और कांग्रेस-एनसीपी ने फेरीवालों के लिए नीति बनाने का वादा किया था। लेकिन इन दलों के नगरसेवकों ने इन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। ये ‘चुनावी वादे’ बनकर रह गए।
अब फरवरी, 2022 में बीएमसी चुनाव होना है और ये दल एक बार फिर जनता से यही वादे करेंगे और जनता एक बार फिर ठगी जाएगी। राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्रों में मुंबईकरों से क्या वादे किए थे और कितने पूरे किए, इसका लेखा-जोखा प्रजा फाउंडेशन ने पेश किया है।
प्रजा फाउंडेशन ने गुरुवार को ‘मुंबई के पक्षानुसार घोषणापत्र (2017-22) विश्लेषण और लक्ष्य 2022-2027’ के लिए रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादों का विश्लेषण किया गया है। इसमें नागरिकों द्वारा विभिन्न समस्याओं पर की गई शिकायतों की भी जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना ने नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुंबई को गड्ढा मुक्त करने का वादा किया था, लेकिन वित्तीय 2017-18 से 2020-21 के बीच मुंबई में सड़कों से संबंधित 17,908 शिकायतें बीएमसी को मिलीं। इसी तरह भाजपा ने 24 घंटे पानी का वादा किया था, जबकि 2020 में मुंबई के 290 क्षेत्रों में से 204 क्षेत्रों में सिर्फ 4 घंटे पानी की आपूर्ति की गई। भाजपा, एनसीपी व कांग्रेस ने अपने वादों में फेरीवालों और विशेष क्षेत्रों के लिए नीति बनाने का वादा किया था, जबकि 2017-18 से 2020-21 के दौरान फेरीवालों से संबंधित 34,129 शिकायतें दर्ज की गईं।
मुंबई में सबसे ज्यादा 75,915 शिकायतें सीवरेज व जलनिकासी से संबंधित रहीं। कचरे से संबंधित 54,029 शिकायतें बीएमसी को मिलीं, जिसमें 40 प्रतिशत कचरा न उठाने से संबंधित थीं। आश्चर्य की बात कि सड़क के गड्ढों की समस्या दूर करने के लिए नगरसेवकों ने सिर्फ 2 प्रतिशत सवाल पूछे। जलापूर्ति के लिए 7 प्रतिशतस्ट्रीट वेंडर से जुड़े सिर्फ 4 प्रतिशत प्रश्न उठाए।
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