Rokthok Lekhani
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नई दिल्ली : देश की जनता आस लगाए बैठी है कि कोई ऐसा दिन आए जिस दिन सुनने को मिले कि पेट्रोल-डीजल की कीमत कम हो गई है। लेकिन हर दिन सिर्पâ कीमत में बढ़ोत्तरी की ही खबर सामने आती है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल द्वारा उपलब्ध कराए गए अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में विगत १०० दिनों में पेट्रोल १० रुपए महंगा हुआ है। इस बढ़ती कीमत ने २० वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
बता दें कि गुरुवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ओपेक विंâगपिन सोदी अरब को तेल की ऊंची कीमतों के बारे में बाहर के चिंताओं से अवगत कराया था लेकिन इसका असर र्इंधनों की कीमतों पर नहीं दिख रहा है। प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल द्वारा उपलब्ध कराए गए अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष २०२० में १ अप्रैल, २०२१ से ३१ मार्च, २०२१ के दौरान पेट्रोल की खुदरा कीमत में २०९७ रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। १ अप्रैल, २०२० को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत ६९.५९ रुपए प्रति लीटर थी, जो ३१ मार्च, २०२१ को बढ़कर ९०.६५ रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गई। इस तरह वित्त वर्ष २०२०-२१ के दौरान पेट्रोल की कीमत में ३०.१३ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कीमत में बढ़ोत्तरी का यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता है। यह वित्त वर्ष २०२१-२२ में भी निरंतर चालू है। चालू वित्त वर्ष के पहले साढ़े तीन महीनों के दौरान दिल्ली में पेट्रोल की कीमत १०.६३ रुपए प्रति लीटर बढ़ी है। १ अप्रैल, २०२१ को यहां पेट्रोल की कीमत ९०.६५ रुपए प्रति लीटर थी, जो १४ जुलाई, २०२१ को बढ़कर १०१.१९ रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गई। इस दौरान पेट्रोल के दाम में ११.७३ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु महाराष्ट्र जैसे राज्यों में र्इंधन की कीमतों में वृद्धि सबसे ज्यादा हुई है। वित्त वर्ष २०२०-२१ र्इंधन की कीमतों में इतनी अधिक वृद्धि का कारण केवल वेंâद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लगाया गया उच्च कर है। सरकार ने कोविड राहत उपायों के लिए अतिरिक्त धन जुटाने में पिछले वर्ष मई में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी की है।
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